वैध खनन में स्टोन क्रेशरों पर लगा 10 करोड़

न्यूज 127.
उप जिलाधिकारी हरिद्वार और जिला खान अधिकारी ने संयुक्त रूप से बताया कि गंगा में रिवर ड्रेजिंग कार्य करते समय माननीय न्यायालय के आदेशों को उल्लंघन नहीं किया जा रहा है। यह कार्य गंगा नदी में बाढ़ से बचाव और पर्यावरणीय संतुलन सुनिश्चित करने के लिए रिवर ड्रेजिंग नीति 2021 के तहत किए जा रहे हैं। कहा कि कुछ व्यक्तियों और संस्थाओं द्वारा इन आवश्यक कार्यों का निहित स्वार्थों के तहत विरोध करने और भ्रम फैलाने का कार्य किया जा रहा है।

दोनों अधिकारियों ने बताया कि रिवर ड्रेजिंग नीति 2021 का उद्देश्य गंगा और अन्य नदियों के प्रवाह को सुचारू बनाना है। कटाव और बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करना है। सिल्ट और अवरोध हटाकर नदियों को चैनलाइज करना है। गंगा नदी से निकाले गए उप खनिज का उपयोग राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में किया जा रहा है। इस कार्य में आधुनिक मशीनों का उपयोग किया जाता है और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक सावधानियां बरती जाती हैं।

उन्होंने बताया कि विगत वर्षों में गंगा नदी में बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण वर्ष 2023 में जनपद हरिद्वार में व्यापक क्षति हुई। हरिद्वार शहर के कई हिस्सों जैसे शंकराचार्य चौक, गुरुकुल कांगड़ी, चंद्राचार्य चौक सहित अन्य स्थानों में जलभराव की समस्या पैदा हुई। लक्सर तहसील के शेरपुर बेला, दल्लावाला, चंद्रपुरी खादर, जोगा वाला और सैकड़ों ग्रामों में जलभराव हुआ। आपदा से पांच व्यक्तियों की मृत्यु और दो व्यक्ति घायल हुए। जबकि करीब 250 भवन क्षतिग्रस्त हुए। 111 गांवों के 3894 परिवार प्रभावित हुए। प्रभावित व्यक्तियों की संख्या 15796 है। आपदा में 28 करोड़ रुपये की फसलें नष्ट हुई। प्रभावितों के लिए पांच राहत केंद्र बनाए गए। राहत एवं बचाव कार्य के लिए कुल 42 टीमें लगाई गईं। तात्कालिक रूप से 245 लाख रुपये क्षतिग्रस्त संपत्तियों हेतु आवंटित किए गए। खाद्य एवं राहत सामग्री के वितरण में 322 परिवारों को 10 लाख रुपये से अधिक की सहायता दी गई। 48 सड़क मार्ग बंद हुए या क्षतिग्रस्त हुए।

विगत वर्ष गंगा में बाढ़ के कारण उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा गंगा कटाव से बचाव कार्यों के लिए धनराशि की मांग की गई थी। यह धनराशि कनखल एवं शहरी क्षेत्र के साथ-साथ राष्ट्रीय राजमार्ग को संभावित नुकसान से बचाने के लिए प्रस्तावित की गई थी। प्रतिवर्ष गंगा में आने वाली बाढ़ से जमा होने वाले सिल्ट को हटाने के लिए श्यामपुर कांगड़ी और लक्सर सहित कई क्षेत्रों में क्यूनेट खुदान कर गंगा की धारा को सीधा करने के लिए सिंचाई विभाग को लाखों रुपये की धनराशि आवंटित की जाती है। एक तरफ जहां क्यूनेट खुदाई के लिए विभागों को धनराशि दी जाती है, वहीं रिवर ड्रेजिंग के तहत क्यूनेट खुदान कर गंगा की धारा को चैनलाइज किया जाता है। इससे न केवल गंगा का प्रवाह बेहतर होता है, बल्कि शासन को राजस्व की प्राप्ति होती है और राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं में उप खनिजों की आपूर्ति भी सुनिश्चित होती है।

अवैध खनन पर कार्रवाई
अवैध खनन के खिलाफ शासन की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अप्रैल 2024 से नवंबर 2024 तक सख्त कार्रवाई की गई। 138 स्टोन क्रेशरों पर 10 करोड़ 2000 रुपये का अर्थदंड आरोपित किया गया। अवैध खनन कर्ताओं और भंडारकर्ताओं पर 161 प्रकरणों में 14 करोड़ रुपये का अर्थदंड आरोपित किया गया। अवैध खनन करने वाले 276 वाहनों से कुल 92 लाख रुपये का अर्थदंड वसूला गया।

रिवर ड्रेजिंग कार्य और माननीय न्यायालय के आदेश
गंगा नदी में रिवर ड्रेजिंग का यह कार्य दिनेश चंदोला आदि रिट याचिकाओं में माननीय न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। कार्यवाही में सभी तकनीकी और पर्यावरणीय मानकों का पालन किया गया है।

रिवर ड्रेजिंग के लाभ
गंगा नदी को चैनलाइज किया जा रहा है, जिससे आगामी मानसून में बाढ़ से बचाव होगा। गंगा से निकले उप खनिजों का उपयोग राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं में किया जा रहा है, जो विकास और आपदा प्रबंधन दोनों में सहायक है।