हरिद्वार। भूपतवाला स्थित साधुबेला आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा का महत्व बताते हुए श्री बनखंडी साधुबेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि कलयुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है। पवन हृदय से इसका स्मरण करने पर करोड़ो पुण्यों का फल प्राप्त होता है। श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है। स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि भगवान की भक्ति में ही शक्ति है। यदि भक्ति करनी है तो ध्रुव और प्रहलाद जैसी करनी चाहिए। भगवान ने प्रहलाद की रक्षा के लिए अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था। यदि भक्ति सच्ची हो तो ईश्वरीय शक्ति अवश्य सहायता करती है। कथा व्यास महंत श्रवण मुनि महाराज ने कहा कि भागवत कथा में प्रहलाद चरित्र पुत्र एवं पिता के संबंध को प्रदर्शित करता है। बताता है कि यदि भक्त सच्चा हो तो विपरीत परिस्थितियां भी उसे भगवान की भक्ति से विमुख नहीं कर सकती। भयानक राक्षस प्रवृत्ति के हिरण्यकश्यप जैसे पिता को प्राप्त करने के बावजूद भी प्रह्लाद ने अपनी ईश्वर भक्ति नहीं छोड़ी और सच्चे अर्थों में कहा जाए तो प्रह्लाद द्वारा अपने पुत्र होने का दायित्व भी निभाया गया। उन्होंने कहा कि पुत्र का यह सर्वोपरि दायित्व है कि यदि उसका पिता कुमार्गगामी और दुष्ट प्रवृत्ति का हो तो उसे भी सुमार्ग पर लाने के लिए सदैव प्रयास करने चाहिए। प्रह्लाद ने बिना भय के हिरण्यकश्यप के यहां रहते हुए ईश्वर की सत्ता को स्वीकार किया और पिता को भी उसकी ओर आने के लिए प्रेरित किया। लेकिन राक्षस प्रवृत्ति के होने के चलते हिरण्यकश्यप प्रहलाद की बात को नहीं मानता। ऐसे में भगवान नरसिंह द्वारा उसका संघार हुआ उसके बाद भी प्रह्लाद ने अपने पुत्र धर्म का निर्वहन किया और अपने पिता की सद्गति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।
स्वामी बलराम मुनि महाराज ने कहा कि अहंकार और ईर्ष्या से दूर रहकर ही व्यक्ति ईश्वर की कृपा को प्राप्त कर सकता है।
इस अवसर पर गोपाल अवस्थी, दीपा अवस्थी, राम शुक्ला, रवि दुबे, चित्रा दुबे, सुनीता तिवारी, राकेश तिवारी, निखिल चंदानी, बबीता चंदानी, गोपाल पुनेठा, विष्णु दत्त पुनेठा, इंदु पंडया, मयंक पंडया, आशुतोष शुक्ला, मयूरी शुक्ला, सुमेद दुबे, रश्मि दुबे, जेपी जुयाल विकास शर्मा, सोनू शर्मा, सुनील मिश्रा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।